अपने बचने की उम्मीद में उस शराबी ने अपने ज़ेब में से माचिस निकाली और उसे जलाकर बाहर निकलने का रास्ता देखने लगा। तब, जैसे ही उसने माचिस जलाई, उसे सुरंग के रास्ते से दस अंगुल ऊपर बंधा एक पतला-सा धारदार तार दिखा।
शराबी को एक पल में समझ आ गया कि यहाँ उसका कोई रुपया नहीं था। उसके लड़के ने उसे मारने के लिये ही सुरंग के अंदर कदम रखा। शराबी अब किसी भी क़ीमत पर उस जगह से निकलना चाहता था।
उसने अपनी क़मीज़ को उतार कर उसके दो फाड़ किये और अपने कटे हुए पैर को बाँध कर खून का बहना कम किया। उसके बाद उसने माचिस जला कर बाहर निकलने का रास्ता खोजना शुरु कर दिया।
एक पैर से कुऐं के ऊपर चढ़ने की कोशिश में अपना सीमित समय गंवाने के बाद उसे समझ आ गया कि वो कुऐं के ऊपर नहीं चढ़ सकता। वो वापस घूमा और लंगड़ी टाँग से उचक-उचक कर दूसरा रास्ता खोजने लगा।
वो जितना आगे जाता उतना ही सुरंग और लंबी जान पड़ती। कैसी जगह थी ये जिसके बारे में कोई नहीं जानता?
वो माचिस जला-जला, संभल-संभल कर आगे बढ़ता रहा था। धीरे-धीरे बढ़ती थकान उसे बता रही थी कि उसका खून अब पूरा बह चुका है।
अपनी मौत के बारे में सोच कर उसके दिल की धड़कन और तेज हो गई। वो और बदहवास तरीक़े से आगे बढ़ने लगा। जल्दी ही उसकी तीलियां उसके खून की तरह जाया हो गई। कुछ बचा था तो एक आख़िरी तीली का टुकड़ा।
उसने आख़िरी तीली जला के चारों ओर नज़र डाली तो ऐसा भयावह दृश्य सामने आया जिसने उसकी सांसें ही रोक दी। सुरंग के अंत में, दीवार पर, एक आदमी का अध-सड़ा सिर कील से ठोका गया था। उस सिर की आँखें गड्ढों से गायब थीं, होंठ मुंह से गायब थे, नाक वहशियाना तरीक़े से उखाड़ी गई थी और कान क्रूरतापूर्ण तरीक़े से नोंचे गये थे। शराबी जानता था कि ये उसका अंत है। अंत जिसके बारें में उसका दगाबाज लड़का पहले से जानता था।