‘घाट के पास!’ लड़का दर्द में चीख़ पड़ा और शराबी ने उसे छोड़ दिया। दर्द में कान मलते हुए लड़का अपने बाप को गंदी-गंदी गालियां दे रहा था।
‘ले के चल मुझे वहाँ!’ शराबी बोला और लड़के को बालों से घसीटते हुए ले गया।
उसने लड़के को अपनी कार में डाला और गाड़ी को इलाहाबाद संगम की ओर मोड़ दिया। लड़का अपने बाप को संगम ले गया जहाँ उस ने सबसे सुनसान इलाक़े में गाड़ी को रुकवा लिया।
‘वहाँ, ज़मीन के अंदर,’ लड़के ने खाली ज़मीन की ओर इशारा करके बताया। शराबी ने गाड़ी रोकी और लड़के को बालों के बल घसीटते हुए ले जा के रेत पर पटक दिया। लड़का रेत पर से उठा और उसने एक विशालकाय पेड़ की छाल को हटाया। पेड़ अंदर से खोखला था। शराबी ने देखा कि वो खोखला पेड़ वहाँ कुआँ छिपाए हुए था।
शराबी ने कुऐं के अंदर टार्च से देखा तो उसे अंधी और अंतहीन सुरंग के अलावा कुछ भी समझ में नहीं आया।
‘चल माद##द, जा कर मेरे रुपए ले कर आ,’ शराबी ने लड़के को लात मार कर कहा और उसे उठा कर कुऐं में फेंक दिया।
लड़का कुऐं के तल में पड़ी रेत पर गिरा जिसके चलते उसे खरोंच भी ना आई। लड़का आराम से उठा, अपने कपड़े झाड़े और ऊपर से कुऐं के अंदर झाँकते अपने बाप को कुटिल मुस्कान दी।
‘अब तुझे तेरे रुपए कभी नहीं मिलेंगे,’ लड़के ने मुंह चिढ़ा कर कहा और सुरंग के अन्दर गायब हो गया।
‘सालेहरामी! आज मैं तेरी जान ले लूंगा!’ शराबी धमकी दे कर सुरंग के अन्दर कूद गया। उसने टार्च से देखा, वो लड़का दूर खड़ा उस पर हँस रहा था।
‘तुझे आज कोई नहीं बचा सकता, माद##द!’ शराबी चीख़ कर लड़के के पीछे भागा। वो लड़के को जान से मार डालना चाहता था। उसे ना और कुछ दिख रहा था ना ही समझ आ रहा था। वो चार कदम ही भाग पाया और मुँह के बल जमीन पर गिर गया। शराबी ने उस दिन दो बड़ी बोतल शराब पी थी, पर उस एक पल में ही उसका सारा नशा गायब हो गया। उसे अपने बाँए पैर में जानलेवा दर्द हो रहा था। दर्द का कारण जानने के लिये उसने अपने पैर पर नज़र डाली तो उसकी जान सूख गई। उसके बाँए पैर का पंजा, एड़ी सहित कट कर रास्ते पर गिरा पड़ा था।