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Disclaimer:- पेज़ के अंत पर है। पहले कविता तो पढ़ लो। वैसे भी शेक्सपियर ने कहा हैः- “डिस्क्लेमर में क्या रखा है? BC”
आजा आजा, देख यहाँ कैसा किसका हाल है,
सबकी आँखें बंद, ये सब सत्ता का कमाल है।
मुँह में बाँधी पट्टी सब ने, हालत अब बेहाल है,
वोट वोट निकला खोट, ईवीएम कमाल है।
सबको दिखता सब कुछ यहाँ किसका बिछा जाल है,
अंधभक्त एवरीवन सत्ता का दलाल है।
जिसको देखो यहाँ पिसता, किसकी क्या मजाल है,
भूखे मर गए बच्चे, पर भगवा पार्टी मालामाल है।
इसकी उसकी सबकी सेहत का अब बिगड़ा हाल है।
वायू ज़हर, पानी ज़हर, ज़हरीला ये साल है।
‘अ’ बोले तो अरबपति एण्ड देश कंगाल है,
तेरी मेरी सब्सिडी पर अब मंडराता काल है।
बेरोज़गारी सिर पर, सबको टोपी अब फ़िलहाल है,
१०० मरे या २०० पर वो नेता बेमिसाल है।
सत्ता वाला मास्टर अब तो खुद ही तड़ीपार है,
मंहगाई कि चिंता न, अब रामराज्य का ज्वार है।
लिंचिंग वाले गुंडों के अब गले में हार है,
फ़ुल आन देशभक्ति का यहाँ संचार है।
बलात्कारी नेता भी अब सत्ता का ही यार है,
उन्नाव से कठुवा तक देश शर्मशार है।
ट्रेन टिकट खैरात बताना इनका नया प्लान है,
ऐश तेरे पैसे पर, अब मुखिया जी की शान है।
प्यार करना फिर भी यहाँ तेरे लिये काल है,
शिक्षा गई तेल लेने बही-खाता लाल है।
तेरी नहीं है अब सत्ता चाण्डालों का थाल है,
जो पूछेगा ज़्यादा उसको अब मिलना पाताल है।
बिकने लगा देश, ये अब लूट इन बाजार है,
देश की सब कंपनी बिके, किसको परवाह यार है?
हक़ के लिये नो लड़ना, अब हराम ही हलाल है,
हिंदू-मुस्लिम कर के ही तो देश अॉन दा फ़ाल है।
नेता पहने मोटी चमड़ी, तेरी खिंचनी खाल है,
क्वेश्चन चाहे कुछ भी हो ‘सब नेहरू जी की चाल है’।
गाँधी हुआ देशद्रोही, गोड्से देश का लाल है,
सावरकर के आगे अब तो एवरीवन स्माल है।
झुट्ठाचंद मुखिया, यहाँ एजुकेटेड ग्वाल है,
शहीदों को गारिया के एक क्रिमिनल इन भोपाल है।
एवरी मूर्ख चौकीदार, कौवा हंस की चाल है,
कौन खोले पोल अब तो एंकर पोपटलाल है।
कोई क्यों बोले कुछ भी, सब का यही हाल है,
देश का कुछ होना नहीं, सबका लुटना माल है।
फिर भी क्रंटी-क्रंटी करता इक गुरुवा घंटाल है,
यहाँ साला मूर्ख ही अब गुदडी का लाल है।
बट यू डोन्ट वरी, क्योंकि वाट्सअप पर एक वाल है,
उस पर लिख गुडमार्निंग, फिर सब इज वेल आल है।
किसी को जगाऊँगा मैं? क्या मेरी मजाल है?
मैं तो साला ख़ुद ही चुप, ये चुपचापी का काल है।
कुछ ही दिन हैं बीते अभी, तू क्यों बाँकेलाल है,
कर तू भी रिप्लाई, ये एक डेमोक्रेटिक कॉल है।
#Democracy_Dead
#RTI_Dead
#EVM_Zindabad
#Broken_J&K
Disclaimer:-इस कविता सच्ची घटना से प्रेरित है। कहानी के पात्र दुनिया के सबसे बड़े झूठें हैं (सूत्रों के अनुसार)। अगर किसी को कविता से तक़लीफ़ हो तो कृप्या उन घटनाओं पर रोष जताएं जिन से ये कविता निकली है, और झूठों से कहें कि झूठ कम बोलें। लेखक को लिखने दें। ज़्यादा तक़लीफ़ हो रही हो तो ब्लड डोनेट करें, खून कम होगा और कम खौलेगा। साथ ही किसी की जान बचेगी… जी हाँ, इंसानी जान, जिसने अब अपनी क़ीमत खो दी है। वैसे मुझे लगा नहीं था कि तुम अंत तक कविता पढ़ोगे। वैसे मन करे तो गाली कमेंट बाक्स में डाल सकते हो, अप्रूव करना न करना मेरे ऊपर है। अच्छे शब्द भी लिख सकते हो… मन कर जाए तो।