गाड़ी में सिर झुकाए बैठी लतीफ़ा को नहीं पता था कि उसके साथ क्या होने वाला है… पर उसे अंदाज़ा हो गया था कि उसका सौदा हो चुका है।
लतीफ़ा कोई आम लड़की नहीं थी। वो हिम्मती और आज़ादी के तराने को अपने ज़ुबान कर गुनगुनाने वाली लड़की थी। पर उसको इन दोनों चीज़ों की मनाही थी। वो पिंजरे में क़ैद चिड़िया की तरह थी जिसको एक दिन धर्म के नाम पर बली चढ़ जाना था। धर्म का तो फ़र्ज़ होता हैः पहले लोगों को अपने पास बुलाओ, फिर उनको कट्टर बनाओ।
पर राजकुमारी को कट्टरता से घिन आती थी। उसके बाप के पास दौलत तो थी पर दिल की जगह पर कट्टरता भरी थी। उसकी दौलत के ग़ुरूर और कट्टरपंथ से लतीफ़ा इतनी घबराती थी कि उसने घर से भाग जाना ही ठीक समझा था। उसका राजा के सोने के पिंजरे में दम घुटता था। सो फिर क्या था, उसने घर को छोड़ दिया और अपने सपनों के देश के लिये निकल पड़ी।
उसके सपनों का देश था समुंदर के पार। उसने अपने सपनों के देश के बारे में बहुत कुछ सुन रखा था। ये सपनों का देश ऐसा था जहाँ पर जानवरों तक को बिना वजह हानि पहुँचाने की मनाही थी। प्रेमी जोड़े यहाँ राधा-कृष्ण के नाम से जाने जाते थे। और साथ में इस सपनों के देश में रहती थी उसकी दोस्त। उसकी वो दोस्त उसके लिये उस राजकुमार से कम नहीं थी जिसके बारे में लतीफ़ा दंतकथाओं से सुनते आ रही थी। उसको विश्वास था कि उसके लिये भी कोई ऐसा ही राजकुमार होगा जो उसे इस कट्टरता के चक्रव्यूह से निकाल कर कहीं दूर ले जाएगा जहाँ वो बिना डरे आज़ाद हवा में साँस ले सकेगी।
पर लतीफ़ा के सारे सपने धीरे-धीरे चकनाचूर होता गए। उसे दुनिया की सच्चाई का पता लगने लगा। उसको पता लगने लगा कि कट्टरता और दौलत साथ-साथ चलती है। दुनिया में आज़ाद लोगों के लिये बहुत कम जगह महसूस हुई उसे। ऐसा लगा जैसे दुनिया में उसकी जगह सिर्फ़ एक माँस के लोथड़े के बराबर हो।
उसका पहला सामना हुआ सपनों के देश के चौकीदारों से। उसके पास अपने राजा पिता की दौलत नहीं थी और इस सपनों के देश में दौलत के अलावा किसी चीज़ का मोल नहीं था। उसको चौकीदारों ने हवालात में डाल दिया और राजकुमारी को लगने लगा कि जल्द ही उसको बचाने के लिये उसका राजकुमार आएगा। राजकुमार आया पर ये राजकुमार इन दौलत के पुजारियों के सामने बेबस था।
अंततः राजकुमार ने दौलत से उसको मुसीबत से निकाल कर आज़ादी की हवा में आने का रास्ता दिया। लतीफ़ा को लगने लगा था कि अब उसकी ज़िंदगी उसकी रहेगी। ज़रूर उस पर हर वक़्त अनिश्चितता की तलवार लटक रही थी, पर उसको पूरा यक़ीन था कि इस देश में तो उसे ग़ुलामों की तरह नहीं जीना होगा। जितनी आज़ादी थी उसके पास, वो उतने से ही ख़ुश थी।
धीरे-धीरे समय बीता और लतीफ़ा अपनी पुरानी ज़िंदगी को भूल गई। जिस दोस्त को वो अपनी आजाद ज़िंदगी का राजकुमार समझ रही थी उसने अपना फ़र्ज़ निभाया। ये राजकुमार उसको कुछ ही समय से जानता था पर उसने बिना किसी शर्त और समझौते के वो सब कुछ किया जो शायद लतीफ़ा का अपना लगा बाप उसके लिये न करता।
फिर आया वो दिन जब लतीफ़ा को हमेशा के लिये डर से आज़ादी मिलना था। वो घर पर बैठी सरकारी नुमाइंदों का इंतज़ार कर रही थी जो उसको नागरिक बना कर हमेशा के लिये डर से आज़ादी देने वाले थे।
दरवाज़े पर दस्तक हुई और लतीफ़ा ने दरवाजा खोला।
और अब वो उस गाड़ी में सिर झुकाए बैठी थी। वो अब अपने सपनों के देश में नहीं थी। वो अब एक ऐसे देश में थी जिसके मुखिया से लेकर मुफ़्ती भी कट्टरता के चंगुल में बुरी तरह फँस चुके थे। पर कट्टरता अकेली वजह नहीं थी। असल में दौलत, सत्ता का लालच, कट्टरता, नफ़रत सब इस सपनों के देश की कमर तक निगल चुकी थी। सत्ता के मुखिया को सत्ता में रहना था और लतीफ़ा के पिता के पास एक हथियार था जिससे मुखिया आने वाले कई सालों तक सत्ता पर बैठा रह सकता था। लतीफ़ा को जब ये बात पता लगी थी तो उसे यक़ीन था कि सपनों के देश का मुखिया उसका सौदा नहीं करेगा। वो भी के सत्ता में रहने के लिये।
पर लतीफ़ा की अब आँखें खुल चुकी थी। उसको मालूम था कि उसकी क़ीमत लग चुकी थी। वो अब वापस उस पिंजरे में वापस जा रही थी जहाँ पर उसे धर्म के नाम पर बलि दिया जाना था। उसका सौदा हो चुका था।
नोटः- ऊपर दी गई कहानी पूरी तरह काल्पनिक है। नीचे दिये गए तीन लिंक्स से आप कल्पना को हक़ीक़त में बदलते देख सकते हैं।
https://www.middleeasteye.net/news/uae-princess-brought-back-dubai-after-running-away-1439221797
https://www.amarujala.com/india-news/allegedly-india-swapped-agustawestland-michel-christian-with-princess-latifa-extradition
https://www.newsclick.in/exclusive-french-order-28-rafale-gives-away-what-modi-wants-hide